भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के 92 वर्ष की आयु में निधन ने देशभर के किसानों को उनकी कृषि क्षेत्र में दी गई महत्वपूर्ण योगदानों की याद दिला दी। इनमें से सबसे बड़ा योगदान 2008 का कृषि ऋण माफी और राहत योजना था, जिसने किसानों के ₹71,000 करोड़ से अधिक के कर्ज को माफ किया।
2008 की कृषि ऋण माफी और राहत योजना
डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में 2008 में शुरू की गई इस योजना के मुख्य उद्देश्य थे:
- किसानों का बोझ कम करना: छोटे और सीमांत किसानों पर कर्ज का बोझ कम करना।
- कृषि उत्पादकता बढ़ाना: किसानों को आधुनिक तकनीक और संसाधनों में निवेश के लिए प्रेरित करना।
- ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाना: किसानों की क्रय शक्ति बढ़ाकर और कृषि निवेश को प्रोत्साहित करके ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार लाना।
योजना की मुख्य विशेषताएं
यह योजना व्यापक थी और इसमें कई महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल थे:
- पूर्ण ऋण माफी: दो हेक्टेयर तक जमीन वाले छोटे और सीमांत किसानों का पूरा कर्ज माफ किया गया।
- वन-टाइम सेटलमेंट (OTS): अन्य किसानों के लिए बकाया ऋण पर 25% की छूट दी गई, बशर्ते वे शेष 75% का भुगतान करें।
- कवरेज: इस योजना से लगभग 4.3 करोड़ किसानों को लाभ हुआ, जो इसे दुनिया के सबसे बड़े ऋण राहत प्रयासों में से एक बनाता है।
किसानों की यादें
योजना से लाभान्वित किसानों ने इसे एक बड़ी राहत के रूप में याद किया:
- तत्काल आर्थिक राहत: ऋण माफी ने किसानों को कर्ज के दबाव से मुक्त किया, जिससे वे खेती पर ध्यान केंद्रित कर सके।
- कृषि में नया निवेश: कर्जमुक्त होकर किसानों ने बेहतर बीज, उपकरण और खेती के तरीकों में निवेश किया, जिससे पैदावार बढ़ी।
- मानसिक शांति: कर्ज के बोझ से छुटकारा मिलने से किसानों की मानसिक स्थिति में भी सुधार हुआ।
हालांकि इस तरह की योजनाओं को अल्पकालिक समाधान के रूप में देखा जाता है, किसान संगठनों जैसे किसान मजदूर मोर्चा और एसकेएम (गैर-राजनीतिक) आज भी ऐसी योजनाओं की मांग कर रहे हैं।
ALSO READ | 2 मिनट में जानें कैसे चुनें सबसे बेहतर शेयर, पाएं अधिकतम रिटर्न!
आलोचनाएं और चुनौतियां
इस योजना से बड़ी राहत मिली, लेकिन इसके सामने कुछ आलोचनाएं भी आईं:
- गैर-संस्थागत उधारकर्ता छूट गए: जो किसान साहूकारों से कर्ज लेते थे, वे इस योजना के दायरे में नहीं आए।
- अल्पकालिक समाधान: आलोचकों का मानना था कि यह योजना केवल लक्षणों का इलाज करती है, जबकि कृषि उत्पादकता और औपचारिक ऋण तक पहुंच जैसे बुनियादी मुद्दे अनसुलझे रह गए।
- वित्तीय प्रभाव: इस योजना की भारी लागत से देश की अर्थव्यवस्था पर दीर्घकालिक असर पड़ने की चिंता उठाई गई।
CHECK OUT | RBI New Guidelines: All Inoperative Bank Accounts to Be Shut | Latest Rules Explained
डॉ. मनमोहन सिंह की विरासत
कर्ज माफी के अलावा, डॉ. मनमोहन सिंह का कार्यकाल कई सुधारों और सामाजिक योजनाओं से भरा हुआ था:
- आर्थिक सुधार: 1990 के दशक में वित्त मंत्री के रूप में उन्होंने उदारीकरण की नीतियों की शुरुआत की, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक बाजारों के लिए खुली।
- सामाजिक कल्याण योजनाएं: महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA), शिक्षा का अधिकार और आधार जैसी योजनाओं को लागू कर उन्होंने सामाजिक सुरक्षा प्रदान की।
वर्तमान किसान आंदोलन और मांगें
डॉ. सिंह के निधन के बाद, मौजूदा किसान आंदोलन अपनी मांगों को लेकर मुखर हो गए हैं और वे पिछली राहत योजनाओं से प्रेरणा ले रहे हैं:
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी: किसानों की मांग है कि उनकी फसलों की उचित कीमत सुनिश्चित की जाए।
- कर्ज माफी: ऋण राहत की मांग आज भी प्रासंगिक है, खासकर बदलते मौसम और बाजार के उतार-चढ़ाव के कारण।
ALSO READ | बजट 2025: भारत में आखिरी बड़ा आयकर राहत कब दिया गया था?
निष्कर्ष
2008 में डॉ. मनमोहन सिंह द्वारा शुरू की गई कृषि ऋण माफी और राहत योजना भारतीय कृषि इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। इस योजना ने दिखाया कि व्यापक नीति उपाय कैसे कृषि संकट को दूर कर सकते हैं। किसानों की मौजूदा मांगें इस बात की याद दिलाती हैं कि स्थायी कृषि पद्धतियों और किसान कल्याण पर निरंतर ध्यान देना जरूरी है।