Home » Latest Stories » व्यक्तिगत वित्त » भारतीय GDP वृद्धि आरबीआई के अनुमान से कम रहने की संभावना: विस्तृत विश्लेषण

भारतीय GDP वृद्धि आरबीआई के अनुमान से कम रहने की संभावना: विस्तृत विश्लेषण

by ffreedom blogs

भारत की आर्थिक वृद्धि धीमी हो रही है। हाल के आंकड़े बताते हैं कि देश की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर 2024-2025 के वित्तीय वर्ष में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्वानुमान से कम रहने की संभावना है। RBI ने 6.6% की वृद्धि दर का अनुमान लगाया था, लेकिन प्रमुख क्षेत्रों में चुनौतियों के कारण यह आंकड़ा घट सकता है। इस लेख में हम इस धीमी वृद्धि के कारण, इसके प्रभाव और आगे की संभावनाओं पर चर्चा करेंगे।


GDP क्या है और यह क्यों महत्वपूर्ण है?

GDP, यानी सकल घरेलू उत्पाद, एक ऐसा मापक है जो एक निश्चित अवधि में किसी देश में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य को दर्शाता है। यह अर्थव्यवस्था की स्थिति को समझने के लिए सबसे महत्वपूर्ण सूचकांकों में से एक है।

  • वास्तविक GDP: इसे मुद्रास्फीति के लिए समायोजित किया जाता है ताकि आर्थिक वृद्धि की वास्तविक स्थिति सामने आ सके।
  • सांकेतिक GDP: इसे मुद्रास्फीति के लिए समायोजित नहीं किया जाता और यह वर्तमान बाजार मूल्य को दर्शाता है।
(Source – Freepik)

RBI का प्रारंभिक GDP वृद्धि पूर्वानुमान

RBI ने वित्त वर्ष 2024-2025 के लिए GDP वृद्धि दर 6.6% रहने का अनुमान लगाया था। यह अनुमान घरेलू मांग, बुनियादी ढांचे में सरकारी निवेश और वैश्विक आर्थिक स्थिरता पर आधारित था।

लेकिन जैसे-जैसे वित्तीय वर्ष आगे बढ़ा, कई कारकों ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर दबाव डाला और वृद्धि की गति धीमी होती गई।


हाल के GDP आंकड़े और वृद्धि के रुझान

  • Q1 FY 2024-25: GDP वृद्धि दर 7.8% रही, जो मजबूत घरेलू मांग से प्रेरित थी।
  • Q2 FY 2024-25: वृद्धि दर घटकर 5.4% पर आ गई, जो सात तिमाहियों में सबसे धीमी रही।

दूसरी तिमाही की इस गिरावट ने चिंताओं को जन्म दिया है कि क्या अर्थव्यवस्था वार्षिक अनुमानित वृद्धि दर को हासिल कर पाएगी।

ALSO READ | कर्नाटक सरकार अब ‘शक्ति योजना’ के लिए जारी करेगी स्मार्ट कार्ड, जानिए पूरी जानकारी!


वृद्धि की धीमी गति के कारण

भारत की GDP वृद्धि दर में गिरावट के कई कारण हैं:

1. विनिर्माण क्षेत्र में मंदी

  • विनिर्माण क्षेत्र, जो भारत के GDP में एक महत्वपूर्ण योगदान देता है, में वृद्धि धीमी रही।
  • दूसरी तिमाही में विनिर्माण वृद्धि 7% से घटकर 2.2% रह गई।
  • ऊंची ब्याज दरें और वैश्विक मांग में कमी ने इस क्षेत्र को प्रभावित किया।

2. महंगाई और उपभोक्ता खर्च

  • खाद्य वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि और सामान्य महंगाई दर ने उपभोक्ता खर्च को प्रभावित किया।
  • वास्तविक वेतन वृद्धि स्थिर रहने के कारण उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति कम हुई है।

3. ऊंची ब्याज दरें

  • महंगाई को नियंत्रित करने के लिए RBI ने रेपो रेट 6.5% पर बनाए रखा है।
  • ऊंची ब्याज दरों के कारण व्यवसायों और उपभोक्ताओं के लिए उधार लेना महंगा हो गया है, जिससे निवेश और खर्च पर असर पड़ा है।

4. सरकारी खर्च में कमी

  • बुनियादी ढांचे और सामाजिक कार्यक्रमों पर सरकारी खर्च में गिरावट आई है।
  • इससे आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने में कमी आई है।

5. कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन

  • असमान मानसून और फसल उत्पादन में गिरावट के कारण कृषि क्षेत्र की वृद्धि धीमी हो गई है।
  • ग्रामीण आय प्रभावित हुई है, जिससे ग्रामीण मांग और खपत पर असर पड़ा है।

धीमी वृद्धि का प्रभाव

GDP वृद्धि में गिरावट का भारतीय अर्थव्यवस्था पर कई प्रभाव पड़ता है:

  • बेरोजगारी: धीमी अर्थव्यवस्था से नौकरी का नुकसान हो सकता है, खासकर विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में।
  • सरकारी राजस्व: कम आर्थिक वृद्धि से सरकार के राजस्व संग्रह पर असर पड़ सकता है, जिससे राजकोषीय घाटा बढ़ सकता है।
  • निवेश: मंदी से घरेलू और विदेशी निवेश को हतोत्साहित किया जा सकता है, जिससे भविष्य की वृद्धि की संभावनाएं प्रभावित होती हैं।
  • उपभोक्ता विश्वास: धीमी वृद्धि से उपभोक्ता विश्वास कम हो सकता है, जिससे खर्च और मांग पर असर पड़ता है।
(Source – Freepik)

समस्याओं के समाधान के उपाय

इस मंदी को दूर करने और स्थायी वृद्धि हासिल करने के लिए सरकार और RBI निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं:

1. मौद्रिक नीति में सुधार

  • अगर महंगाई नियंत्रण में आती है तो RBI ब्याज दरों में कटौती कर सकता है।
  • कम उधारी लागत से निवेश और उपभोक्ता खर्च को प्रोत्साहन मिल सकता है।

2. सरकारी खर्च में वृद्धि

  • बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर सरकारी खर्च बढ़ाकर नौकरियां सृजित की जा सकती हैं और आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित किया जा सकता है।
  • सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों से ग्रामीण मांग को बढ़ावा मिल सकता है।

3. विनिर्माण क्षेत्र को समर्थन

  • कर प्रोत्साहन और व्यापार को आसान बनाने वाली नीतियों से विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि हो सकती है।

4. महंगाई को नियंत्रित करना

  • सरकार खाद्य वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रित करने के उपाय कर सकती है ताकि उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति में सुधार हो सके।

5. निर्यात को बढ़ावा देना

  • निर्यात-उन्मुख उद्योगों को मजबूत करने से घरेलू मांग में कमी का प्रभाव कम किया जा सकता है।

ALSO READ | लेओ ड्राई फ्रूट्स एंड स्पाइसेज SME IPO: ज़रूरी जानकारी और निवेश गाइड


भविष्य में भारत की अर्थव्यवस्था की संभावनाएं

(Source – Freepik)

हालांकि वर्तमान में चुनौतियां हैं, लेकिन आने वाले तिमाहियों में भारत की अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत हैं। निम्नलिखित कारक रिकवरी में मदद कर सकते हैं:

  • ग्रामीण मांग में सुधार: बेहतर मानसून और किसानों को सरकारी समर्थन से ग्रामीण आय और मांग को बढ़ावा मिल सकता है।
  • वैश्विक आर्थिक स्थिरता: एक स्थिर वैश्विक आर्थिक वातावरण निर्यात और विदेशी निवेश को समर्थन दे सकता है।
  • सरकारी सुधार: संरचनात्मक सुधारों से व्यापार का माहौल बेहतर हो सकता है और निवेश को आकर्षित किया जा सकता है।

आर्थिक विशेषज्ञ भारत की दीर्घकालिक वृद्धि संभावनाओं को लेकर सतर्क रूप से आशावादी हैं। भारत की युवा और बढ़ती जनसंख्या और मजबूत घरेलू बुनियादी ढांचे के कारण भारत की अर्थव्यवस्था में मजबूती की संभावना है।


निष्कर्ष

भारत की GDP वृद्धि 2024-25 के लिए RBI के अनुमान से कम रहने की संभावना है। मुख्य रूप से विनिर्माण क्षेत्र की मंदी, उच्च महंगाई और स्थिर उपभोक्ता खर्च इसके कारण हैं। हालांकि, मौद्रिक नीति में सुधार, सरकारी खर्च में वृद्धि और संरचनात्मक सुधारों के माध्यम से अर्थव्यवस्था में सुधार की संभावना है। सही नीतिगत उपायों के साथ, भारत आने वाले वर्षों में स्थायी और समावेशी वृद्धि हासिल कर सकता है।


Related Posts

हमें खोजें

ffreedom.com,
Brigade Software Park,
Banashankari 2nd Stage,
Bengaluru, Karnataka - 560070

08069415400

contact@ffreedom.com

सदस्यता लेने के

नई पोस्ट के लिए मेरे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें। आइए अपडेट रहें!

© 2023 ffreedom.com (Suvision Holdings Private Limited), All Rights Reserved

Ffreedom App

फ्रीडम ऐप डाउनलोड करें, रेफरल कोड LIFE दर्ज करें और तुरंत पाएं ₹3000 का स्कॉलरशिप।