भारत, अपनी समृद्ध कृषि परंपरा के लिए प्रसिद्ध है और वैश्विक कॉफी उत्पादन में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। देश की विविध जलवायु और भौगोलिक परिस्थितियाँ विशिष्ट स्वाद और गुणों वाली कॉफी उगाने में मदद करती हैं। इस लेख में, हम भारत के शीर्ष 5 कॉफी उत्पादक राज्यों की चर्चा करेंगे, उनकी विशेषताओं और योगदान को जानेंगे।
1. कर्नाटक: कॉफी का दिल
कर्नाटक भारत में कॉफी उत्पादन में अग्रणी है और देश के कुल उत्पादन का लगभग 70% हिस्सा प्रदान करता है। यहाँ की अनुकूल जलवायु और उपजाऊ मिट्टी, विशेष रूप से कोडागु (कुर्ग), चिकमंगलूर और हासन जिलों में, कॉफी उगाने के लिए आदर्श परिस्थितियाँ प्रदान करती है।
मुख्य क्षेत्र:
- कोडागु (कुर्ग): भारत के कुल कॉफी उत्पादन का 33% यहीं होता है।
- चिकमंगलूर: भारत में कॉफी उत्पादन की शुरुआत का स्थान।
- हासन: राज्य के कॉफी उत्पादन में प्रमुख योगदान।
कॉफी की किस्में:
- अरेबिका: अपने हल्के स्वाद और सुगंध के लिए प्रसिद्ध।
- रोबस्टा: अपने मजबूत स्वाद और अधिक कैफीन मात्रा के लिए मूल्यवान।
फसल कटाई का समय:
- अरेबिका: नवंबर से जनवरी।
- रोबस्टा: दिसंबर से फरवरी।
2. केरल: विविध स्वादों की भूमि
केरल भारत के कॉफी उत्पादन में लगभग 21% योगदान देता है। यहाँ वायनाड, इडुक्की और पालक्काड जिलों में कॉफी की खेती होती है। केरल की मानसूनी जलवायु यहाँ के कॉफी को विशिष्ट “मॉन्सूनड मालाबार” स्वाद देती है।
मुख्य क्षेत्र:
- वायनाड: अरेबिका और रोबस्टा दोनों किस्मों का प्रमुख केंद्र।
- इडुक्की: उच्च गुणवत्ता वाले कॉफी बीन्स के लिए प्रसिद्ध।
- पालक्काड: उभरता हुआ कॉफी उत्पादन क्षेत्र।
कॉफी की किस्में:
- अरेबिका और रोबस्टा: दोनों किस्मों की खेती होती है, विशेष रूप से जैविक खेती पर जोर।
विशेषता:
- मॉन्सूनड कॉफी: कॉफी बीन्स को मानसूनी हवाओं में रखा जाता है, जिससे उनका स्वाद और गुण अनोखा हो जाता है।
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3. तमिलनाडु: दक्षिण की कॉफी
तमिलनाडु भारत के कुल कॉफी उत्पादन का लगभग 5% योगदान देता है। यहाँ नीलगिरी, यरकौड और कोडाइकनाल के पहाड़ी क्षेत्र कॉफी उत्पादन के लिए प्रसिद्ध हैं। यहाँ की विविध स्थलाकृति और ऊँचाई उच्च गुणवत्ता वाली अरेबिका कॉफी के उत्पादन में सहायक हैं।
मुख्य क्षेत्र:
- नीलगिरी: सुगंधित अरेबिका कॉफी के लिए प्रसिद्ध।
- यरकौड (शेवरोय हिल्स): अरेबिका और रोबस्टा दोनों का उत्पादन।
- कोडाइकनाल (पलानी हिल्स): विशेष कॉफी के लिए प्रसिद्ध।
कॉफी की किस्में:
- अरेबिका: ऊँचाई वाले क्षेत्रों में बेहतर तरीके से उगाई जाती है।
फसल कटाई का समय:
नवंबर से फरवरी तक, क्षेत्र और ऊँचाई के आधार पर समय भिन्न होता है।
4. आंध्र प्रदेश: उभरता हुआ खिलाड़ी
आंध्र प्रदेश विशेष रूप से अराकू घाटी में कॉफी उत्पादन में बड़ी प्रगति कर रहा है। यह क्षेत्र आदिवासी किसानों द्वारा उगाई जाने वाली जैविक कॉफी के लिए जाना जाता है।
मुख्य क्षेत्र:
- अराकू घाटी: पूर्वी घाट की यह घाटी कॉफी उगाने के लिए अनुकूल जैव विविधता और जलवायु प्रदान करती है।
कॉफी की किस्में:
- अरेबिका: जैविक और स्थायी खेती पर जोर।
विशेषता:
- अराकू कॉफी: अपनी गुणवत्ता और सतत कृषि पद्धतियों के लिए अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त।
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5. ओडिशा: नया प्रवेशक
ओडिशा, विशेष रूप से कोरापुट जिला, हाल ही में कॉफी उत्पादन में शामिल हुआ है। यहाँ का ठंडा मौसम और ऊँचाई उच्च गुणवत्ता वाली अरेबिका कॉफी के उत्पादन के लिए आदर्श है।
मुख्य क्षेत्र:
- कोरापुट जिला: उभरता हुआ कॉफी उत्पादन क्षेत्र।
कॉफी की किस्में:
- अरेबिका: प्रीमियम गुणवत्ता के उत्पादन पर ध्यान।
विकास पहल:
स्थानीय समुदायों के लिए स्थायी आजीविका प्रदान करने हेतु कॉफी उत्पादन का विस्तार।
निष्कर्ष
भारत की कॉफी परंपरा उतनी ही विविध है जितनी इसकी संस्कृति। कर्नाटक के विशाल बागानों से लेकर ओडिशा के नवाचार तक, भारत का कॉफी उत्पादन परंपरा, नवीनता और स्थिरता का मेल है। भारतीय कॉफी के लिए वैश्विक प्रशंसा बढ़ रही है, और ये राज्य अपने उत्पादन को बढ़ाते हुए भारत की कॉफी को विश्व मंच पर प्रमुख बनाए हुए हैं।