डॉ. मनमोहन सिंह, जो एक प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री और राजनेता हैं, भारत के 13वें प्रधानमंत्री (2004 से 2014) के रूप में कार्यरत रहे। उन्हें भारत के आर्थिक उदारीकरण के वास्तुकार के रूप में जाना जाता है। उनके कार्यकाल में ऐसी ऐतिहासिक सुधार हुए जिन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी। आइए उनके सबसे महत्वपूर्ण योगदानों पर एक नज़र डालते हैं।
1. 1991 का आर्थिक उदारीकरण
डॉ. सिंह का सबसे प्रसिद्ध योगदान 1991 में वित्त मंत्री के रूप में था, जब भारत एक गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा था। उस समय विदेशी मुद्रा भंडार खत्म हो रहा था और महंगाई दर बहुत अधिक थी।
- एलपीजी (उदारीकरण, निजीकरण, वैश्वीकरण) की शुरुआत:
- व्यापार नीतियों को उदार बनाया, जिसमें टैरिफ और आयात प्रतिबंधों को कम किया गया।
- सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की भूमिका कम करते हुए निजीकरण को बढ़ावा दिया।
- विदेशी निवेश के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था के द्वार खोले।
- रुपये का अवमूल्यन: इससे भारतीय उत्पाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी बने और निर्यात में बढ़ोतरी हुई।
- कर प्रणाली को सरल बनाना: उन्होंने कर सुधारों की शुरुआत की जिससे व्यवस्था अधिक प्रभावी और व्यवसाय-हितैषी बनी।
इन उपायों ने भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल कर दिया और भविष्य के विकास के लिए मार्ग प्रशस्त किया।
2. राजकोषीय अनुशासन और आर्थिक विकास
वित्त मंत्री के रूप में डॉ. सिंह ने राजकोषीय अनुशासन, घाटे को कम करने और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने पर जोर दिया। उनकी नीतियों ने सुनिश्चित किया:
- वित्तीय क्षेत्र में स्थिरता: बैंकों और वित्तीय प्रणालियों को अधिक पारदर्शी बनाया।
- लाइसेंस राज में कटौती: अत्यधिक नौकरशाही नियंत्रणों को समाप्त कर उद्यमशीलता को बढ़ावा दिया।
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3. राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा)
प्रधानमंत्री के रूप में डॉ. सिंह ने 2005 में नरेगा योजना शुरू की, जो गरीबी उन्मूलन और ग्रामीण विकास के लिए क्रांतिकारी कदम था।
- गारंटीड रोजगार: नरेगा ने हर साल ग्रामीण परिवारों को 100 दिनों का रोजगार प्रदान करने का वादा किया।
- ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर प्रभाव: इसने ग्रामीण क्रय शक्ति को बढ़ाया, शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन को कम किया और गांवों में जीवन स्तर में सुधार किया।
4. वित्तीय समावेशन पहल
डॉ. सिंह की सरकार ने उन लोगों तक वित्तीय सेवाएं पहुंचाने में बड़ी प्रगति की जो इससे वंचित थे:
- बैंकिंग सेवाओं का विस्तार: ग्रामीण क्षेत्रों में बैंक शाखाओं को खोलने को बढ़ावा दिया।
- आधार परियोजना की शुरुआत: हालांकि इसे बाद में पूरी तरह से लागू किया गया, आधार—जो नागरिकों के लिए एक अद्वितीय पहचान प्रणाली है—की नींव उनके कार्यकाल के दौरान रखी गई।
5. बुनियादी ढांचे का विकास
डॉ. सिंह के नेतृत्व में सड़कों, हवाई अड्डों और ऊर्जा सहित बुनियादी ढांचे में बड़े पैमाने पर निवेश हुआ।
- गोल्डन क्वाड्रिलेटरल प्रोजेक्ट: प्रमुख शहरों को जोड़ने वाले इस नेटवर्क को तेजी से पूरा किया गया।
- विद्युत सुधार: ग्रामीण क्षेत्रों का विद्युतीकरण और ऊर्जा उत्पादन क्षमता बढ़ाने के कार्यक्रम शुरू किए।
- पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP): बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में सरकार और निजी क्षेत्र के बीच सहयोग को प्रोत्साहित किया।
6. भारत को वैश्विक आईटी केंद्र के रूप में बढ़ावा देना
डॉ. सिंह की नीतियों ने भारत की आईटी क्रांति की नींव रखी:
- आईटी और दूरसंचार क्षेत्रों में एफडीआई को प्रोत्साहन: इससे भारत एक वैश्विक आउटसोर्सिंग केंद्र के रूप में उभरा।
- विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ): निवेश को आकर्षित किया और आईटी और विनिर्माण क्षेत्रों में लाखों नौकरियां पैदा कीं।
7. अमेरिका के साथ परमाणु ऊर्जा समझौता
2008 में, डॉ. सिंह की सरकार ने ऐतिहासिक भारत-अमेरिका परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर किए:
- ऊर्जा सुरक्षा: परमाणु ईंधन और प्रौद्योगिकी तक पहुंच सुनिश्चित की।
- आर्थिक प्रभाव: भारत की तकनीकी क्षमताओं में निवेशकों के विश्वास को बढ़ाया।
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8. सामाजिक क्षेत्र में निवेश
डॉ. सिंह के कार्यकाल में स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक कल्याण में भारी निवेश किया गया:
- शिक्षा का अधिकार (RTE): 6-14 वर्ष के बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा सुनिश्चित की।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन: स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने पर ध्यान केंद्रित किया।
9. भारत की वैश्विक स्थिति को मजबूत करना
डॉ. सिंह की आर्थिक कूटनीति ने वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति को मजबूत किया:
- G20 सदस्यता: वैश्विक आर्थिक चर्चाओं के लिए भारत की भागीदारी सुनिश्चित की।
- BRICS का गठन: ब्राजील, रूस, चीन और दक्षिण अफ्रीका के साथ साझेदारी को मजबूत किया।
10. वैश्विक वित्तीय संकट (2008) से निपटना
2008 के वैश्विक मंदी के दौरान, डॉ. सिंह की आर्थिक रणनीतियों ने भारत को मजबूती प्रदान की:
- प्रोत्साहन पैकेज: सार्वजनिक खर्च में वृद्धि के माध्यम से मांग को बढ़ावा दिया।
- बैंकिंग स्थिरता: भारत की मजबूत नियामक ढांचे ने इसे संकट के सबसे बुरे प्रभावों से बचाया।
विरासत और प्रभाव
डॉ. मनमोहन सिंह की दूरदर्शी नीतियों ने भारत को एक वैश्विक आर्थिक शक्ति के रूप में उभरने की नींव दी। उदारीकरण, राजकोषीय अनुशासन और सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों पर उनका जोर समावेशी विकास सुनिश्चित करते हुए भारत को विश्व मंच पर प्रमुखता दिलाई।