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खेती में एक नई क्रांति: कृषि वानिकी और मिश्रित फसल प्रणाली के फायदे

by ffreedom blogs

भारत में खेती में नए-नए प्रयोग किए जा रहे हैं ताकि उत्पादकता बढ़ाई जा सके और किसानों की आय में सुधार हो सके। कृषि वानिकी (Agroforestry) और मिश्रित फसल प्रणाली (Mixed Cropping) एक ऐसी तकनीक है जो मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने, जैव विविधता को बनाए रखने और किसानों की आय में इज़ाफ़ा करने में मदद करती है। आइए जानते हैं कि यह तकनीक भारतीय कृषि को कैसे बदल रही है और यह क्यों टिकाऊ खेती का भविष्य है।


कृषि वानिकी (Agroforestry) क्या है?

कृषि वानिकी एक ऐसा कृषि मॉडल है जिसमें पेड़, फसल और कभी-कभी पशुपालन को एक साथ जोड़ा जाता है, जिससे खेत की उत्पादकता और मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ती है। यह भूमि के विभिन्न स्तरों का उपयोग करके पर्यावरण को अधिक संतुलित और टिकाऊ बनाता है।

कृषि वानिकी के फायदे:

मिट्टी की उर्वरता में सुधार: पेड़ मिट्टी में नमी बनाए रखते हैं, कटाव रोकते हैं और पोषक तत्वों का चक्र सुचारू रखते हैं। ✔ किसानों की आय में वृद्धि: लकड़ी, फल और औषधीय पौधों से अतिरिक्त आमदनी हो सकती है। ✔ जलवायु परिवर्तन से सुरक्षा: यह प्रणाली सूखा और बाढ़ जैसी चरम जलवायु परिस्थितियों से खेतों को बचाती है। ✔ जैव विविधता को बढ़ावा: खेतों में पौधों और जीवों की विविधता बढ़ती है, जिससे कृषि प्रणाली अधिक संतुलित होती है। ✔ रासायनिक निर्भरता में कमी: प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र हानिकारक कीटों को नियंत्रित करने में मदद करता है और उर्वरकों की आवश्यकता कम होती है।


मिश्रित फसल प्रणाली (Mixed Cropping) क्या है?

मिश्रित फसल प्रणाली वह तकनीक है जिसमें एक ही खेत में दो या अधिक प्रकार की फसलें एक साथ उगाई जाती हैं। इससे भूमि के संसाधनों का अधिकतम उपयोग किया जाता है और फसल की विफलता का जोखिम कम होता है।

मिश्रित फसल प्रणाली के फायदे:

बेहतर संसाधन उपयोग: विभिन्न फसलें अलग-अलग पोषक तत्वों का उपयोग करती हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरता संतुलित रहती है। ✔ कीट और रोग नियंत्रण: कुछ पौधे ऐसे होते हैं जो अन्य फसलों को प्रभावित करने वाले कीटों को दूर रखते हैं। ✔ उच्च उत्पादन और अधिक लाभ: एक ही भूमि से विभिन्न प्रकार की फसलें प्राप्त होने से किसानों की आय बढ़ती है। ✔ मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार: दलहनी फसलें मिट्टी में नाइट्रोजन का संचार करके उसे उपजाऊ बनाती हैं। ✔ जल की कुशलता: विभिन्न गहराइयों पर जड़ें होने के कारण पानी का उपयोग संतुलित तरीके से होता है।


कृषि वानिकी और मिश्रित फसल प्रणाली कैसे एक साथ काम करती हैं?

जब कृषि वानिकी और मिश्रित फसल प्रणाली को मिलाया जाता है, तो यह खेती के संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र को लाभ पहुंचाता है।

  • पेड़ छायादार फसलों को छाया प्रदान करते हैं, जिससे गर्मी का प्रभाव कम होता है।
  • गहराई तक जड़ें जाने वाले पेड़ मिट्टी में गहरे पोषक तत्व लाते हैं, जो सतही जड़ों वाली फसलों के लिए फायदेमंद होता है।
  • गिरे हुए पत्ते प्राकृतिक खाद के रूप में काम करते हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है।
  • फसलें और पेड़ परस्पर लाभकारी होते हैं, जिससे जैव विविधता को बढ़ावा मिलता है।

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भारत में सफल उदाहरण

कई भारतीय किसानों ने कृषि वानिकी और मिश्रित फसल प्रणाली को अपनाकर उल्लेखनीय लाभ प्राप्त किए हैं।

1. पॉपलर-गेहूं मॉडल (उत्तर प्रदेश और पंजाब)

  • उत्तर प्रदेश और पंजाब के किसान पॉपलर पेड़ों और गेहूं की खेती को एक साथ कर रहे हैं।
  • पॉपलर तेज़ी से बढ़ता है और लकड़ी का अतिरिक्त लाभ देता है।
  • पेड़ फसलों को धूप से बचाते हैं, जिससे मिट्टी की नमी बनी रहती है।
  • किसानों की आय में 20-30% तक की वृद्धि दर्ज की गई है।

2. नारियल और कोको खेती (केरल)

  • केरल में किसान नारियल के साथ कोको, काली मिर्च और केले की खेती कर रहे हैं।
  • इससे भूमि का पूरा उपयोग होता है और सालभर आमदनी मिलती है।
  • कोको की खेती नारियल के पेड़ों की छाया में अच्छी तरह विकसित होती है।

3. अरेका नट और काली मिर्च (कर्नाटक)

  • कर्नाटक में अरेका नट के पेड़ों पर काली मिर्च की बेलें उगाई जा रही हैं
  • इससे भूमि का अधिकतम उपयोग होता है और अतिरिक्त बुनियादी ढांचे की लागत बचती है।
  • इस तकनीक से उत्पादन बढ़ा है और मिट्टी की उर्वरता में सुधार हुआ है

4. महाराष्ट्र में कृषि वानिकी की सफलता

  • महाराष्ट्र में किसान आम, अमरूद और दलहनी फसलों को मिला कर खेती कर रहे हैं।
  • यह मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ाने में मदद करता है, जिससे उर्वरक का खर्च कम होता है।
  • किसानों की उत्पादकता 40% तक बढ़ी है

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सरकार की सहायता और योजनाएँ

भारत सरकार ने कृषि वानिकी और मिश्रित फसल प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ शुरू की हैं:

  • कृषि वानिकी उप-मिशन (SMAF): किसानों को सब्सिडी और तकनीकी सहायता प्रदान करता है।
  • राष्ट्रीय कृषि वानिकी नीति: कृषि भूमि पर वृक्षारोपण को बढ़ावा देती है।
  • कृषि विज्ञान केंद्र (KVK): किसानों को प्रशिक्षण और अनुसंधान सहायता प्रदान करता है।

किसान इन योजनाओं के तहत वित्तीय सहायता, निःशुल्क पौधे और तकनीकी प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं।


निष्कर्ष

कृषि वानिकी और मिश्रित फसल प्रणाली की यह क्रांति भारतीय कृषि को नई दिशा दे रही है। यह न केवल मिट्टी की गुणवत्ता को सुधारती है बल्कि किसानों की आमदनी भी बढ़ाती है। सरकारी सहायता और नवीन तकनीकों को अपनाकर किसान लाभकारी और पर्यावरण के अनुकूल खेती कर सकते हैं।

जो किसान आज इस टिकाऊ कृषि पद्धति को अपनाएंगे, वे भविष्य में खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण में अग्रणी भूमिका निभाएंगे


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