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छोटे गाँवों के लिए वर्टिकल फार्मिंग: क्या यह संभव है?

by ffreedom blogs

बढ़ती आबादी और कृषि भूमि की कमी को देखते हुए, वर्टिकल फार्मिंग एक नई और प्रभावी तकनीक बन रही है। लेकिन क्या यह गाँवों में छोटे किसानों के लिए फायदेमंद हो सकती है?

इस लेख में हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि क्या वर्टिकल फार्मिंग छोटे गाँवों के लिए एक व्यवहार्य विकल्प हो सकती है और किस तरह से कम लागत में इसे अपनाया जा सकता है

वर्टिकल फार्मिंग क्या है?

वर्टिकल फार्मिंग एक ऐसी खेती की विधि है जिसमें फसलें पारंपरिक क्षैतिज खेतों की बजाय ऊर्ध्वाधर (सजग) परतों में उगाई जाती हैं। इसमें अक्सर नियंत्रित पर्यावरण और हाइड्रोपोनिक्स (बिना मिट्टी की खेती) जैसी तकनीकों का उपयोग किया जाता है।

वर्टिकल फार्मिंग की प्रमुख विशेषताएँ:

  • कम जगह में अधिक उत्पादन: फसलें परतों में उगाई जाती हैं जिससे कम भूमि में अधिक उत्पादन संभव होता है।
  • कम पानी की खपत: पारंपरिक खेती की तुलना में 90% तक कम पानी लगता है।
  • कीटनाशकों की कम जरूरत: नियंत्रित वातावरण होने के कारण कीटनाशकों का उपयोग कम किया जाता है
  • ज्यादा फसल उत्पादन: एक साल में कई बार फसल उगाई जा सकती है।

क्या वर्टिकल फार्मिंग छोटे गाँवों में संभव है?

छोटे किसानों के लिए चुनौतियाँ:

वर्टिकल फार्मिंग के कई फायदे हैं, लेकिन छोटे गाँवों के किसानों को कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है:

  • शुरुआती लागत अधिक: आधुनिक वर्टिकल फार्म स्थापित करना महंगा हो सकता है।
  • तकनीकी ज्ञान की जरूरत: नई तकनीकों को समझने और अपनाने की आवश्यकता होती है।
  • बिजली पर निर्भरता: एलईडी लाइट और पर्यावरण नियंत्रण उपकरणों के लिए बिजली की जरूरत पड़ती है।
  • बाजार तक पहुँच: उगाई गई फसलों को बेचने के लिए अच्छे बाजार की आवश्यकता होती है।

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छोटे किसानों के लिए कम लागत वाली वर्टिकल फार्मिंग तकनीकें:

छोटे किसानों के लिए कम लागत वाली और सरल तकनीकों से वर्टिकल फार्मिंग को अपनाना संभव हो सकता है:

1. बांस और लकड़ी के ढांचे का उपयोग

  • महंगे स्टील रैक की बजाय किसान बांस, लकड़ी या पुनः उपयोग किए गए सामान से वर्टिकल लेयर्स बना सकते हैं।
  • पालक, मेथी, धनिया और मशरूम जैसी फसलें उगाने के लिए उपयुक्त।

2. स्थानीय सामग्री से हाइड्रोपोनिक्स

  • महंगे हाइड्रोपोनिक सिस्टम की बजाय पीवीसी पाइप और नारियल के छिलके का उपयोग किया जा सकता है।
  • पानी बचाने के लिए ड्रिप सिंचाई प्रणाली अपनाई जा सकती है।

3. दीवारों और बाड़ पर खेती

  • किसान खाली दीवारों, छतों और बाड़ का उपयोग कर तोरी, लौकी, टमाटर और सेम जैसी फसलें उगा सकते हैं।
  • इससे अतिरिक्त जमीन की आवश्यकता नहीं पड़ती

4. मिट्टी आधारित स्टैक्ड फार्मिंग

  • पुराने क्रेट या प्लास्टिक के कंटेनरों में मिट्टी भरकर फसल उगाई जा सकती है।
  • छोटे किसानों के लिए कम निवेश में खेती का बढ़िया विकल्प

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वर्टिकल फार्मिंग के लाभ

यदि सही तरीके से अपनाया जाए, तो वर्टिकल फार्मिंग गाँवों के किसानों के लिए कई फायदे ला सकती है:

1. कम जगह में अधिक उत्पादन

  • कम जमीन में अधिक फसलें उगाई जा सकती हैं।
  • जमीनविहीन किसानों के लिए भी खेती संभव बनाती है।

2. बेहतर जल संरक्षण

  • पारंपरिक खेती की तुलना में 90% तक पानी की बचत होती है।
  • सूखा प्रभावित क्षेत्रों में उपयोगी हो सकती है।

3. किसानों की आय में वृद्धि

  • पुदीना, धनिया, पालक और स्ट्रॉबेरी जैसी उच्च मूल्य की फसलें उगाकर अधिक लाभ कमाया जा सकता है।
  • निरंतर फसल उत्पादन से नियमित कमाई होती है।

4. मौसम पर कम निर्भरता

  • वर्टिकल फार्मिंग अचानक बदलते मौसम से फसलों को बचाती है
  • सूखा, बाढ़ और अत्यधिक गर्मी से नुकसान कम होता है।

5. रसायन मुक्त और स्वास्थ्यवर्धक भोजन

  • नियंत्रित खेती में कीटनाशकों का उपयोग बहुत कम या शून्य होता है।
  • स्वस्थ और जैविक उत्पाद का उत्पादन किया जा सकता है।

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छोटे किसान कैसे करें वर्टिकल फार्मिंग की शुरुआत?

यदि कोई किसान कम लागत में वर्टिकल फार्मिंग शुरू करना चाहता है, तो उसे इन कदमों का पालन करना चाहिए:

  1. छोटे स्तर से शुरू करें: पहले दीवारों पर खेती, बांस के रैक या क्रेट फार्मिंग अपनाएँ।
  2. स्थानीय सामग्री का उपयोग करें: बांस, नारियल छिलका, पीवीसी पाइप और पुराने कंटेनर का उपयोग करें।
  3. उपयुक्त फसलें चुनें: जल्दी बढ़ने वाली और लाभकारी फसलें जैसे पालक, मेथी, धनिया, पुदीना और मशरूम उगाएँ।
  4. ड्रिप सिंचाई प्रणाली अपनाएँ: पानी बचाने और फसलों को सही पोषण देने के लिए।
  5. स्थानीय प्रशिक्षण लें: कृषि विस्तार कार्यक्रमों और एनजीओ से सहायता प्राप्त करें।
  6. बाजार की माँग को समझें: स्थानीय मंडी, होटल, और ऑनलाइन बाजार में अपनी उपज बेचने के लिए संभावनाएँ खोजें।

क्या वर्टिकल फार्मिंग छोटे गाँवों के लिए उपयुक्त है?

हालांकि वर्टिकल फार्मिंग पारंपरिक खेती का पूरी तरह से विकल्प नहीं हो सकती, लेकिन यह निश्चित रूप से गाँवों में अतिरिक्त आय और जल संरक्षण का एक अच्छा तरीका बन सकती हैकम लागत में अपनाई गई वर्टिकल फार्मिंग तकनीकें छोटे किसानों के लिए लाभदायक साबित हो सकती हैं

सरकार और एनजीओ किसानों को प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता देकर इस तकनीक को सफल बना सकते हैं। सही योजना और प्रयासों के साथ, वर्टिकल फार्मिंग ग्रामीण भारत में खेती की दिशा बदल सकती है


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