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₹2 करोड़ का चिकन बर्गर: मुकदमा या अतिशयोक्ति?

by ffreedom blogs

बेंगलुरु के एक व्यक्ति ने मैकडॉनल्ड्स के खिलाफ ₹2 करोड़ का हर्जाना मांगते हुए मुकदमा दायर किया। यह मामला एक साधारण बिलिंग गलती का है, जिसे तुरंत सुधार दिया गया था। लेकिन, क्या इसके लिए इतना बड़ा कदम उठाना सही है? यह मामला उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (Consumer Protection Act) और इसके उपयोग के सही तरीकों पर सवाल खड़ा करता है।


क्या हुआ था?

  • बेंगलुरु के एक ग्राहक ने मैकडॉनल्ड्स से चिकन बर्गर ऑर्डर किया।
  • बिल में गलती हुई, जिसे ग्राहक ने तुरंत पहचान लिया।
  • गलती को फौरन ठीक कर दिया गया, लेकिन ग्राहक ने मानसिक पीड़ा और भावनात्मक तनाव का हवाला देते हुए ₹2 करोड़ का हर्जाना मांगने का फैसला किया।

अब सवाल उठता है कि क्या यह मुकदमा उचित है या यह सिर्फ अतिशयोक्ति है?

(Source – Freepik)

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम: समझने की बात

भारत का उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करता है:

  • त्रुटिपूर्ण वस्तुएं: यदि उत्पाद मानक के अनुरूप न हो।
  • खराब सेवाएं: यदि सेवा की गुणवत्ता उम्मीदों से नीचे हो।
  • अनुचित व्यापार प्रथाएं: जैसे झूठी विज्ञापन या भ्रामक जानकारी।

लेकिन, इस कानून के तहत कार्रवाई तभी की जा सकती है जब ग्राहक को वास्तविक नुकसान हुआ हो।
बिलिंग गलती, जो तुरंत सही कर दी गई हो, शायद ही इस श्रेणी में आती है।

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इस मामले ने कौन-कौन से सवाल खड़े किए?

  1. क्या यह मुकदमा उचित है?
    • बिलिंग में गलती ज़रूर हुई, लेकिन उसे तुरंत ठीक कर दिया गया।
    • ₹2 करोड़ का हर्जाना मानसिक पीड़ा के लिए मांगना क्या वाकई जायज है?
  2. क्या इसे खराब सेवा माना जा सकता है?
    • बिलिंग की गलती को खराब सेवा माना जा सकता है, लेकिन अगर गलती तुरंत ठीक हो जाए, तो इसकी संभावना कम हो जाती है।
  3. क्या यह एक मिसाल बनेगा?
    • ऐसे मामले उपभोक्ता न्यायालयों पर अतिरिक्त दबाव डाल सकते हैं।
    • इससे वास्तविक उपभोक्ता शिकायतें नजरअंदाज हो सकती हैं।
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उपभोक्ता शिकायत दर्ज करने का तरीका

अगर आपको किसी सेवा या उत्पाद से संबंधित वास्तविक समस्या हो:

  1. पहला कदम: सबूत जुटाएं
    • बिल, रसीद और अनुबंध जैसी चीज़ों को संभाल कर रखें।
    • सेवा प्रदाता के साथ हुई बातचीत का रिकॉर्ड रखें।
  2. दूसरा कदम: शिकायत दर्ज करें
    • ₹1 करोड़ तक के क्लेम के लिए जिला उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज करें।
    • ₹1 करोड़ से अधिक के क्लेम के लिए राज्य या राष्ट्रीय आयोग में शिकायत कर सकते हैं।
  3. तीसरा कदम: समय सीमा और समाधान
    • शिकायत के समाधान में समय लग सकता है।
    • बड़े क्लेम के लिए विशेषज्ञ कानूनी सलाह लें।

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अतिशयोक्ति और अधिकारों के बीच संतुलन

यह मामला उपभोक्ता अधिकारों के उपयोग में संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता को रेखांकित करता है।

  • छोटी गलतियों पर बड़े मुकदमे दायर करना न्याय प्रणाली पर अनावश्यक दबाव डालता है।
  • वास्तविक मामलों को प्राथमिकता देने की जरूरत है।
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बिलिंग गलतियों को संभालने के सही तरीके

  1. भुगतान से पहले बिल जांचें
    • भुगतान से पहले बिल की जांच करना सुनिश्चित करें।
  2. तुरंत समाधान के लिए कहें
    • अगर कोई गलती हो, तो शांति से उसे सही करने को कहें।
  3. आवश्यक हो तभी शिकायत बढ़ाएं
    • समस्या को हल करने का मौका दें और अगर समाधान न मिले, तो शिकायत दर्ज करें।

निष्कर्ष

₹2 करोड़ के चिकन बर्गर का यह मामला उपभोक्ता अधिकारों की जागरूकता बढ़ाने का अवसर है। लेकिन, कानूनी कार्रवाई का सहारा तभी लेना चाहिए जब समस्या गंभीर हो।

  • अपने अधिकारों को समझें।
  • शिकायत दर्ज करने से पहले उचित कदम उठाएं और तर्कसंगत बनें।

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